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अकबर के दरबार के नौ - रत्न / सलाहकार मंत्री

मुगल शासक अकबर विभिन्न क्षेत्र के विद्वानो का आदर एवं सम्मान करता था तथा उन्हें अपने दरबार में प्रमुख स्थान भी प्रदान करता था | अकबर के दरबार में ऐसे विद्वानों को रत्न कहा जाता था , जिनकी संख्या नौ बतायी जाती हैं | अत: इन विद्वानों को अकबर के नौ रत्न या नौ सलाहकार भी कहा जाता था | जिनका विवरण आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे -

Ashoka's Dhamma : Subjects Mentionedin Pillar Edicts

अकबर के नौ - रत्न / अकबर के नौ - सलाहकार 

1.  राजा बीरबल 

2.  अबुल - फजल 

3.  राजा टोडरमल 

4.  राजा भगवंत दास 

5.  तानसेन 

6.  राजा मान सिंह 

7.  अब्दुर्रहीम - खानेखाना 

8.  मुल्ला - दो - प्याजा

9.  फैजी 

                        अकबर के इन नौ रत्नों के बारे में कौन - सा विद्वान किस क्षेत्र से था , इसका विवरण निम्नवत हैं -

1.  राजा बीरबल 

                                बीरबल के बचपन का नाम महेश दास था , जो कि अकबर के दरबार में बीरबल के नाम से प्रसिद्ध हुआ | यह अकबर के दरबार का प्रमुख वजीर था | ये भट्ट जाती के ब्राहमण थे | अपने बाल्यकाल से ही ये बहुत चतुर एवं बुद्धिमान थे | इनके जन्म स्थान को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं | अकबर के दरबार में आने से पहले यह अम्बर के राजा रामचन्द्र के दरबार था | 1583 ई ० में अकबर ने इसे न्याय विभाग का सर्वोच्च अधिकारी बनाया | ऐसा कहा जाता है कि 16 फ़रवरी 1586 ई० में युसूफजाइयों से युद्ध के दौरान अफगानिस्तान में एक बड़ी सैन्य मंडली का नेतृत्व करते समय इनकी मृत्यु हो गयी |

2. अबुल - फजल 

                                अबुल - फजल का पूरा नाम अबुल - फजल इब्र मुबारक था | इसका जन्म 1551 ई० में आगरा के पास नागौर में हुआ था | यह शेख मुबारक का पुत्र एवं फैजी का भाई था | इसका सम्बन्ध अरब के हिजाजी परिवार से था | इसके अन्दर एक महान राजनेता , राजनयिक , सैन्य अधिकारी के गुण होने के साथ ही इतिहास लेखन में भी यह निपूर्ण था | इसने अकबरनामा एवं आइने अक्बरी नामक पुस्तक लिखी | इसी के साथ ही इसने कालियादमन एवं पंचतन्त्र का फारसी में अनुवाद भी किया | इसकी हत्या 1602 ई० में बीरसिंह बुन्देला की |

3.  राजा टोडरमल 

                                   टोडरमल का जन्म उत्तर प्रदेश के लहरपुर में हुआ | ये कायस्थ थे , जिसको लेकर कई विद्वानों में मतभेद हैं | इसने शेरशाह सूरी के अधीन नौकरी की , किन्तु जब सुर वंश का पतन हुआ तो यह अकबर के दरबार में नौकरी करने लगा | अकबर के अधीन इन्हें आगरा का प्रभारी नियुक्त किया गया , बाद में इसे गुजरात भेज दिया गया | इसने बंगाल स्थित अकबर के टकसाल का प्रबंध कार्य दीवान - ए - अशरफ के पद पर रहते हुए देखा | इस पद पर रहते हुए इसने राजस्व प्रणाली में सुधार किए , जो इसकी एक प्रमुख उपलब्धी हैं | इसने भागवत पुराण का फ़ारसी में अनुवाद कराया | इसकी मृत्यु 1589 ई० में हुई |

उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में राजस्व अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए बनाए गए एक मात्र प्रशिक्षण स्थल का नाम इसके नाम पर - राजा टोडरमल भूलेख प्रशिक्षण संस्थान रखा गया , जहाँ IAS , IPS , PCS , PPS इत्यादि अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता हैं | 

4.  राजा भगवंत दास 

                                    यह आमेर के राजा भारमल का पुत्र था , जिसने भारमल की मृत्यु उपरान्त 1573 ई०  आमेर का सिंहासन संभाला | ये सूर्यवंशी कच्छवाहा राजपूत वंश के थे | इसका जन्म 1537 ई० में हुआ | अपने पिता के सामान ही इसने भी अकबर के दरबार में ऊँचा मनसब प्राप्त किया तथा पाँच हजारी मनसब तक पहुच गया | यह एक उत्कृष्ट योद्धा था | इसे 'अमीर - उल - उमरा ' की उपाधि मिली थी | इसके पुत्र मानसिंह भी अकबर के नौ - रत्नों में जगह पायी | इसकी मृत्यु 1589 ई० में हुई |

5.  तानसेन 

                     तानसेन एक सर्वश्रेष्ठ संगीतज्ञ एवं गायक था | इसे अकबर ने 'कण्ठ  भरण  वाणी  विलास ' नामक उपाधि से अलंकृत किया | यह भारतीय शास्त्रीय संगीत की उत्तर - भारतीय परम्परा के प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक था | इसी के समय में ध्रुपद गायन शैली का विकास हुआ | इसके चार पुत्र एवं एक पुत्री थे |

6. राजा मानसिंह

                               यह आमेर के राजा टोडरमल के पुत्र थे , जिन्होंने अपने पिता की मृत्यु उपरान्त आमेर का सिंहासन संभाला | ये सूर्यवंशी कच्छवाहा राजपूत वंश के थे | यह अकबर का प्रधान सेनापति बना | हल्दीघाटी के युद्ध में मुग़ल सेना शहजादे सलीम के नेतृत्व में युद्ध लड़ी , जिसमें मुग़ल सेना के सेनापतियों महावत खां , आसफ खां तथा राजा मानसिंह भी शामिल था | मुगल सेना के 80000 सैनिको के जवाब में मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप के केवल 22000 थे | हल्दीघाटी के युद्ध में जीत प्राप्त होने के बाबजूद मानसिंह ने मुगल सैनिको को मेवाड़ को लूटने की आज्ञा नहीं दी |

7. अब्दुर्रहीम खानेखाना 

                                             ये एक कवि थे , जो शहजादे जहांगीर के साथ - साथ रहीम के गुरु भी थे | रहीम को अपने दोहे और ज्योतिष पर लिखी किताब के कारण जाना जाता हैं | इनका जन्म दिल्ली में हुआ | ये अकबर के संरक्षक और गुरु बैरम खां के पुत्र थे , जो मुख्यत: तुर्क मूल के थे | गुजरात के विद्रोह का दमन करने के कारण अब्दुर रहीम को खानेखाना की उपाधि प्रदान की गयी एवं ये अब्दुर्रहीम खानेखाना के नाम से ख्याति पायी | इन्होंने ही बाबरनामा का फ़ारसी में अनुवाद किया |

8.  मुल्ला दो प्याजा  

                                    ये मूलत: अरबी मूल के थे | इनका जन्म मुगल कमांडर अतागाह खान एवं एक नर्स जीजी अंगा के घर पर हुआ | ये अकबर के दरवार में वजीर थे , जो बीरबल के प्रतिद्वंदी माने जाते थे , किन्तु बहुत से विद्वान् इन्हें काल्पनिक हैं | इनके मजाकिया स्वभाव के कारण मुल्ला नाम से इन्हें सम्मानित किया गया |

9.  फैजी 

                 इसका पूरा नाम शेख अबु - अल - फैज था | यह अबुल - फजल का बड़ा भाई था | अकबर ने इसे अपने बेटे के गणित के शिक्षक के रूप में नियुक्त किया , जिसे बाद में अकबर ने इसे अपने नौ रत्नों में शामिल किया | यह अकबर का राजकवि था | इसने योगवशिष्ठ पुराण तथा भागवत पुराण का फ़ारसी में अनुवाद किया |


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